इंदौर(स्वास्थ): वैसे तो आयुर्वेद में लगभग हर पौधे के गुणों और उससे बीमारियों को उपचार कैसे करे यह बताया हुआ है. इस पोस्ट में हम जानेगे एरंड / castor / एरंडी के पौधे का उपयोग विभिन्न बीमारियों में कैसे किया जाये.
पहले हम ये जानले की यह दीखता किस तरह का है. यह ऊंचाई में 2.5 – 4.5 मीटर तक होता है एवं अधिकतर खेतो के किनारे लगाया जाता है. एरंड के पौधे के तने, पत्तों और टहनियों के ऊपर धूल जैसा आवरण रहता है, जो हाथ लगाने पर चिपक जाता है। ये दो प्रकार का होते हैं लाल रंग के तने और पत्ते वाले एरंड को लाल और सफेद रंग के होने पर सफेद एरंड कहते हैं। इनका स्वाद तीखा एवं बेस्वाद होता है। यह दो प्रकार का होता है पहला सफेद और दूसरा लाल।
बीमारी एवं उपचार:
- चर्म(त्वचा) रोग: i) एरंण्ड की 20gm जड़ को 500ml पानी में उबाले। जब यह 150ml बचे तो इसको ठंडा करके पिए, इसे पिलाने से चर्म रोगों में लाभ होता है। ii) एरंड के तेल की मालिश करते रहने से शरीर के किसी भी अंग की त्वचा फटने का कष्ट दूर होता है।
- बालो के पोषण के लिए: ऐसे व्यक्ति जिनके सिर पर बाल नहीं उगते हो या बहुत कम हों तो उन्हें एरंड के तेल की मालिश नियमित रूप से सोते समय करना चाहिए। इससे कुछ ही हफ्तों में सुंदर, घने, लंबे, काले बाल पैदा हो जाएंगे।
- सिरदर्द: एरंड के तेल की मालिश सिर में करने से सिर दर्द की पीड़ा दूर होती है। एरंड की जड़ को पानी में पीसकर माथे पर लगाने से भी सिर दर्द में राहत मिलती है।
- पायरिया: एरंड के तेल में कपूर का चूर्ण मिलाकर दिन में 2 बार नियमित रूप से मसूढ़ों की मालिश करते रहने से पायरिया रोग में आराम मिलता है।
- मोटापा दूर करना: i) एरंड की जड़ का काढ़ा छानकर एक-एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करें।, ii) एरंड के पत्तों का खार को हींग डालकर पीये और ऊपर से चावल खायें। इससे लाभ हो जाता है।, iii) अरण्ड के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से मोटापा दूर हो जाता है।
- पेट के कृमि(कीड़े): एरंड का तेल गर्म पानी के साथ देना चाहिए अथवा एरंड का रस शहद में मिलाकर बच्चों को पिलाना चाहिए। इससे बच्चों के पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
- नींद कम आना: एरंड के अंकुर बारीक पीसकर उसमें थोड़ा सा दूध मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को कपाल (सिर) तथा कान के पास लेप करने से नींद का कम आना दूर हो जाता है।
- पीठ दर्द में: एरंड के तेल को गौ मूत्र में मिलाकर देना चाहिए। इससे पीठ, कमर, कन्धे, पेट और पैरों का शूल (दर्द) नष्ट हो जाता है।
- हृदयरोग: एरंड की जड़ का काढ़ा जवाखार के साथ देने से हृदय रोग और कमर के दर्द का नाश हो जाता है।
- खांसी: एरंड के पत्तों का क्षार 3 ग्राम, तेल एवं गुड़ आदि को बराबर मात्रा में मिलाकर चाटने से खांसी दूर हो जाती है।
हानिकारक : कहते है अति सर्वत्र वर्जयेत वैसे ही एरंड की ज्यादा मात्र आमाशय को शिथिल करता है, गर्मी उत्पन्न करता है और उल्टी लाता है।