सूरमा मूवी का रिव्यु – SOORMA MOVIE REVIEW (3.5/5)
मुंबई: सूरमा एक हॉकी प्रसिद्ध खिलाडी संदीप सिंह की बायोपिक है. ( SOORMA MOVIE REVIEW – 3.5/5 )
सूरमा की कहानी शुरुआत होती है. 1994 के शाहबाद से जिसे भारतीय हॉकी की राजधानी कहा जाता है. यह शहर छोटा जरुर है पर यहाँ के हर लड़के/लड़की के मन में एक ही ख्वाब सजता है. भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बनना. इस कहानी के मुख्य पात्र युवा संदीप सिंह (दिलजीत डॉसंज) भी उन्ही में से एक है. लेकिन किशोर अवस्था में संदीप का मन हॉकी की तरफ से भटक जाता है. लेकिन तभी संदीप को एक और दूसरी खिलाडी हरप्रीत ( तापसी पन्नू) से प्यार हो जाता है. हरप्रीत – संदीप की ज़िन्दगी में फिर से हॉकी खेलने का जज्बा जगाती है. और संदीप को जीने की नई वजह देती है.

फिल्म की समीक्षा:
लेखक-निर्देशक शाद अली द्वारा फिल्म का पहला हिस्सा हीरो यानि संदीप के किरदार को सजाने में गया है. और इसी के साथ दोनों की लव स्टोरी को भी आगे बढाया है. इंटरवल के ठीक पहले यह फिल्म इमोशनल मोड़ लेती है.
दिलजीत: दिलजीत का काम और फिल्म के किरदार के प्रति उनकी मेहनत उनके इस रोल में दिखाई देती है. उन्होंने किरदार के हर छोटे-बड़े हिस्से पर बारीकी से काम किया है. और वे संदीप सिंह के किरदार के साथ न्याय करने में सफल रहे है. दिलजीत डॉसंज का काम इसमे काफी प्रभावशाली रहा है.
तापसी पन्नू: हर बार की तरह तापसी ने फिर अपने काम में सर्वश्रेष्ठ दिया है. और उनके किरदार हरप्रीत के रंग में वो पूरी-2 दिखी. बस उनके किरदार ने फिल्म की गति को धीमा कर दिया है. सहायक कलाकार अंगद बेदी बिक्रजीजीत सिंह (संदीप के बड़े भाई) ने इसमे अपनी एक्टिंग स्किल की हुनरमंदी दिखाई है.
तो अगर आप जानना चाहते हैं कि क्यों, क्या और कैसे संदीप सिंह के साथ हुआ उसके लिए आप देखे सूरमा.
5 में से 3.5 सितारे सूरमा के नाम.

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