तन्वी सेठ – लखनऊ पासपोर्ट मुद्दा
लखनऊ: पिछले कुछ दिनों से एक पासपोर्ट मामला पूरे देश में गूँज रहा है ( Lucknow passport issue ). जिसमे एक महिला जिसने लव मैरिज एक मुस्लिम पुरुष से की थी. और वो जब पासपोर्ट बनवाने गयी. तो वहा के ऑफिसर ने कहा (तन्वी सेठ – लखनऊ पासपोर्ट मुद्दा):
“जाए पहले पूर्ण मंत्रौचार के साथ फेरे लेकर आये.”
यह कथन सुनते ही किसी भी थोड़े से समझदार व्यक्ति का माथा ठनका सकता है. क्योंकि भारत का लोकतंत्र हमे धर्मनिरपेक्षता का ज्ञान एवं अधिकार देता है.
क्या है तन्वी सेठ – लखनऊ पासपोर्ट मुद्दा?
लखनऊ के रहने वाले एक दंपति जिन्होंने लव मैरिज की थी. और पति-पत्नी दोनों अलग-2 धर्म के है. पति मुस्लिम है और पत्नी ( तन्वी सेठ विवाह के पहले का नाम ) हिन्दू थी. उनका निकाह हुआ जिसके लिए निकाहनामा भी तैयार किया गया था. तब उसमे “तन्वी सेठ” का नाम बदल कर “सादिया अनस” किया गया था.
“तन्वी सेठ” विवाह के पहले का नाम. विवाह के बाद “सदिया अनस”
अब जब “तन्वी सेठ उर्फ़ सदिया” ने अपना पासपोर्ट एप्लीकेशन फॉर्म जमा किया. उस फॉर्म में आधार कार्ड की भी कॉपी लगायी गयी थी.
जिसमे की उनका नाम सदिया नहीं तन्वी था. जबकि निकाहनामे पर उनका नाम सदिया था. और उन्होंने पासपोर्ट तन्वी नाम से बनवाने हेतु दिया था.
पासपोर्ट नियम के हिसाब से नाम वाला कॉलम में क्या पुछा जाता है सरकारी तंत्र द्वारा:
चुकि पासपोर्ट फॉर्म में यह विकल्प होता है कि
क्या कभी आपका नाम परिवर्तित किया गया है या नहीं?.
अगर जवाब नहीं होता तो आपको कोई अलग से सरकरी दस्तावेज नहीं जमा करवाना होते है.
लेकिन आपका जवाब अगर “हाँ” में है तो आपको उस नए नाम से जुड़े सारे सरकारी जरुरी दस्तावेज जमा करना होंगे.
और पासपोर्ट सिर्फ अब नए नाम पर ही बनेगा.
इसी निमय के चलते पासपोर्ट अधिकारी “विकास मिश्रा “ ने “तन्वी उर्फ़ सदिया” से भी पुछा की जब आपका नाम बदल चूका है. तो पासपोर्ट तन्वी नाम से नहीं बल्कि सदिया नाम से बनेगा. क्योकि निकाहनामे में आपका नाम बदला गया है.
लेकिन तन्वी सेठ उर्फ़ सदिया ने अपने आपको अल्पसंख्यक बताते हुए उसमे धार्मिक प्रताड़ना का जबरन रंग घोलते हुए विदेश मंत्री “सुषमा स्वराज” ट्वीट कर दिया कि. उनके साथ धर्मं को लेकर शोषण हुआ और अभद्र टिपण्णी की गयी है क्योकि वो मुसलमान है. इसी बात को लेकर आनन-फानन में पासपोर्ट अधिकारी को विकास मिश्रा का तबादला गोरखपुर कर दिया और तन्वी सेठ को तुरंत पासपोर्ट बनवा के दिया गया.
अब यह मामले ने फिर से तूल पकड़ा है और सोशल मीडिया पर “#I_support_vikas_mishra” ट्रेंडिंग में चल रहा है. क्योंकि बिना विकास मिश्रा का पक्ष सुने सरकार द्वारा यह फैसला नीतिगत नहीं है.
विकास मिश्रा से बातचीत के अंश:
“अगर कोई शख्स किसी भी नाम से पासपोर्ट बनवा लेगा तो क्या यह देश की सुरक्षा के हित में होगा. बिना सही पहचान और नाम के अगर पासपोर्ट जारी किया जाता है. तो यह सिस्टम का एक बहुत बड़ा फेलियर होगा.”
उन्होंने बताया की मैने तन्वी से केवल इतना कहा कि “जो नाम निकाहनामे पर दिखाया है वही नाम वो पासपोर्ट एप्लीकेशन फॉर्म में भी जारी करे. और साथ में एक प्रार्थना पत्र लिखकर दे जिससे नाम इंडोर्स किया जा सके.
इस मामले को धार्मिक तूल पकड़ते देख “विकास मिश्रा” सरकार से सिक्यूरिटी की गुहार लगायी है.
यह कुछ मुद्दे जो वाकई सोचने वाले है:
- महिला ने अपने आपको मुस्लिम बताया और विदेश मंत्री से गुहार लगायी. और पासपोर्ट पर नाम उन्हें हिन्दू चाहिए. क्या यह बात संदेह के दायरे में नहीं आती?
- विदेश मंत्री होने के नाते उन्हें किसी भी धर्मं, जाति या संप्रदाय के लिए नियम ताक पर नहीं रखने चाहिए.
- दोनों पक्षों की सुने बिना ही लिया गया निर्णय धार्मिक उन्मांद पैदा कर सकता है.
यह सच उजागर होने के बाद हो सकता है तन्वी उर्फ़ सदिया का पासपोर्ट. विकास मिश्रा का पक्ष मीडिया में सामने आने के बाद सोशल प्लेटफार्म पर बड़ी संख्या में लोग उनके पक्ष में आये है. गुरुवार को लोक गायिका मालिनी अवस्थी भी उनके पक्ष में सामने आई. इस पूरे मामले को हिंदू-मुस्लिम के नजरिए से देखने पर लोग ने विदेश मंत्री की आलोचना करते हुए मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति अपनाने का भी आरोप लगाया है.